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अनुच्छेद 370 : सीएम योगी का सियासी प्रहार

जम्मू-कश्मीर में सीएम योगी का सियासी प्रहार: अनुच्छेद 370, POK और विपक्ष पर तीखे बयान

अनुच्छेद 370, POK और विपक्ष पर तीखे बयान – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जम्मू-कश्मीर दौरे और वहां की रामगढ़ रैली में दिए गए बयानों के बारे में।गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पहुंचे सीएम योगी ने कहा कि जो लोग भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करते थे, उनका जवाब जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव देंगे। उन्होंने बताया कि भारी संख्या में मतदाता मतदान कर रहे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि लोग परिवारवादी और विभाजनकारी राजनीति को तिलांजलि दे चुके हैं। योगी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतांत्रिक सरकार की चाह रखते हैं और विकास की मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि POK authorized कश्मीर फिर से जम्मू-कश्मीर का हिस्सा बनेगा।CM ने सवाल किया कि क्या राहुल गांधी अलग झंडे का Support करते हैं और क्या वे नेशनल कॉन्फ्रेंस की अनुच्छेद 370 और 35A को वापस लाने की मांग का Support करते हैं। CM योगी आदित्यनाथ का जम्मू-कश्मीर में शक्तिशाली भाषण: अनुच्छेद 370, अलगाववादी राजनीति और कांग्रेस पर जोरदार हमला उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि इन दलों ने जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद का ‘वेयरहाउस’ बना दिया था।योगी ने कहा कि कांग्रेस, PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद की नर्सरी समाप्त हो गई है और पत्थरबाजी की घटनाएं कम हो गई हैं।योगी ने यह भी कहा कि पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को साकार किया है। उन्होंने कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी को ‘प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों’ की संज्ञा दी, जो आम जनता का शोषण करती हैं।CM ने नागरिकता संशोधन अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा कि केवल बीजेपी ही कश्मीरी पंडितों के साथ खड़ी थी। उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि सभी दल इसका विरोध करते हैं, जबकि BJP समाधान का नाम है।योगी आदित्यनाथ के इस बयान ने एक बार फिर से राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर हमारी नजर बनी रहेगी। ऐसे ही और अपडेट्स के लिए जुड़े रहिए नीतिपथ के साथ। धन्यवाद! –Pooja Mishra
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Article 370 की वापसी नामुमकिन - PM मोदी

Article 370 की वापसी को किया खारिज – National Conference और Congress पर PM मोदी का निशाना

PM Modi का पाकिस्तान को दो टूक जवाब: Article 370 की वापसी नहीं Prime Minister Narendra Modi ने Jammu- Kashmir में चुनावी रैली के वक्त यह बात साफ़ किया कि अनुच्छेद 370 की वापसी किसी भी ताकत से संभव नहीं है। उनका यह बयान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा अनुच्छेद 370 की वापसी के support में की गई comment के reference में आया।कटरा में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने Congress and National Conference पर निशाना साधा, यह आरोप लगाते हुए कि ये दल पाकिस्तान के एजेंडे को Jammu- Kashmir में लागू करने का कोशिश कर रहे हैं। PM ने कहा, “दुनिया की कोई ताकत Jammu- Kashmir में अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं करा सकती। “Prime Minister Narendra Modi ने इस बात पर जोर दिया कि Congress and National Conference का alliance पाकिस्तान के support से ही चल रहा है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में इनकी बल्ले-बल्ले हो रही है, जबकि Jammu- Kashmir में कोई इन्हें पूछने वाला नहीं है।”Prime Minister Narendra Modi ने आगे कहा कि Congress, PDP and National Conference ने Jammu- Kashmir को केवल आतंकवाद और mob law का सामना कराया है। उन्होंने यह भी बताया कि मोदी सरकार Jammu- Kashmir के युवाओं को रोजगार और विकास के अवसर प्रदान करने के लिए committed है।Modi ने रैली में Jammu- Kashmir की स्थिति में सुधार की चर्चा करते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों में स्कूल-कॉलेजों का इंतिज़ाम, मामूली हो जाएगा और युवाओं का लोकतंत्र में विश्वास बढेगा। उन्होंने चुनावों के दौरान BJP के उम्मीदवारों को support करने की अपील की। इस रैली में PM ने यह भी आश्वासन दिया कि Jammu- Kashmir का राज्य का दर्जा फिर से वापस किया जाएगा, और BJP इस commitment को पूरा करेगी।इस संबोधन के दौरान रैली में उपस्थित लोगों ने “मोदी-मोदी” और “खुशामदीद मोदी” के नारे लगाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। इस विषय पर और अपडेट के लिए बने रहें नितिपथ के साथ। धन्यवाद! –Pooja Mishra
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पहले चरण का मतदान शुरू

पहले चरण के मतदान में जम्मू-कश्मीर की जनता का उत्साह, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

जम्मू-कश्मीर में आज विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान शुरू हो गया है। यह चुनाव 10 साल बाद हो रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। जम्मू-कश्मीर में सात जिलों की 24 सीटों पर मतदान हो रहा है, जिसमें अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, डोडा, रामबन, किश्तवाड़ और कुलगाम शामिल हैं। मतदान सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक जारी रहेगा। केंद्र शासित प्रदेश में कुल 90 निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग 87.09 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 42.6 लाख महिलाएं हैं।चुनाव आयोग की व्यवस्था के तहत, पहले चरण के मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, खासकर आतंकवादी हमलों को ध्यान में रखते हुए। सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है ताकि मतदाता स्वतंत्रता से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें। कुल 3276 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं, जहां मतदाता अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।इस चुनाव का महत्व इस बात से और बढ़ जाता है कि यह अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहला विधानसभा चुनाव है। अगस्त 2019 में इस अनुच्छेद को खत्म करने के बाद से क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता की बहाली की कोशिशें जारी हैं। इस बार मतदाता अपने नेताओं का चुनाव करने के लिए उत्सुक हैं।मतदान के पहले दिन, विभिन्न मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की भीड़ देखने को मिली। जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों में मतदान की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है। दोपहर 1 बजे तक 41.2% मतदान हो चुका था। विभिन्न जिलों में मतदान का प्रतिशत भिन्नता दिखा रहा है; जैसे कि डोडा में 50.81%, किश्तवाड़ में 56.86% और पुलवामा में 29.84% वोटिंग हुई है।एक मतदाता, कल्पान कौल ने बताया कि, “मुझे मतदान करके बहुत खुशी हो रही है। 10 साल बाद मैंने अपनी मातृभूमि के लिए वोटिंग की है। हमने उस प्रत्याशी के लिए वोट दिया है जिससे हमें उम्मीद है कि वह हमारे कश्मीर के लिए बहुत कुछ करेगा।”दिल्ली में रह रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए भी वोटिंग की सुविधा दी गई है। जम्मू कश्मीर हाउस में मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि, कुछ मतदाता नाम वोटर लिस्ट में नहीं होने से नाराजगी भी जता रहे हैं। राजनीतिक दलों के नेता भी इस चुनाव में अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं। जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व अध्यक्ष विकार रसूल वानी ने कहा, “मैंने 2008 और 2014 में चुनाव लड़ा था और जीता भी था। आज मैंने अपने समर्थन में अधिक लोगों को देखा है। मुझे विश्वास है कि इस चुनाव में भी मुझे जीत मिलेगी।”जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी लोगों से वोट करने की अपील की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “आज जम्मू-कश्मीर में मतदान का पहला चरण है। इसलिए मैं उन सभी मतदाताओं से अपील करता हूं जिनके क्षेत्र में मतदान हो रहा है कि वे अपने मताधिकार का जरूर इस्तेमाल करें। खासतौर पर युवा, महिलाएं और जो पहली बार वोट दे रहे हैं।”कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी लोगों से वोट देने की अपील की और लिखा, “मेरे भाइयों और बहनों, आज प्रदेश में पहले चरण के मतदान हो रहे हैं। यह आपका संवैधानिक अधिकार है।” उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य के लोगों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।कुलगाम के डिप्टी कमिश्नर ने भी स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा, “हर जगह मतदान सुचारू रूप से चल रहा है। हमारे 372 मतदान केंद्रों पर सभी व्यवस्थाएं पूरी हैं। हम यहां से हर मतदान केंद्र पर अपनी निगरानी भी रखते हैं।”आज की वोटिंग में जम्मू-कश्मीर के युवा मतदाताओं की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। यहां पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 3.71 लाख है। कुल 20.7 लाख मतदाता 20 से 29 वर्ष की आयु के बीच हैं। यह दर्शाता है कि युवा मतदाता अपनी आवाज को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने के लिए तत्पर हैं। पहले चरण का मतदान शुरू, 10 साल बाद का महत्वपूर्ण मौका जम्मू-कश्मीर में मतदान की प्रक्रिया के दौरान, पार्टी नेताओं और उम्मीदवारों ने मतदाताओं से बढ़-चढ़कर मतदान करने की अपील की है। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “आज जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में प्रथम चरण के लिए मतदान कर रहे सभी मतदाताओं से भारी संख्या में मतदान करने की अपील करता हूं।”इस पहले चरण की वोटिंग को लेकर जम्मू-कश्मीर की आम जनता में उत्साह और उमंग देखने को मिल रही है। लोग अपने नेताओं का चुनाव करने के लिए तैयार हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर में पहले चरण के मतदान के साथ ही यह स्पष्ट हो रहा है कि स्थानीय लोग लोकतंत्र की प्रक्रिया में अपनी भागीदारी को लेकर कितने गंभीर हैं। अब अगली वोटिंग 25 सितंबर को होगी, और इसके बाद 1 अक्टूबर को अंतिम चरण का मतदान होगा। चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। Pooja Mishra
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Assembly Elections 2024

Assembly Elections 2024: जम्मू-कश्मीर की राजनीति में 10 Years बाद बड़ा उलटफेर

Jammu-Kashmir Assembly Elections 2024: सियासी हलचल Jammu-Kashmir में 10 साल के लंबे इतंजार के बाद होने जा रहे Assembly elections का ऐलान हो गया है इसी के साथ ही क्षेत्र की राजनीतिक हलचलें भी तेज हो गई हैं। Election comission ने हाल ही में ऐलान किया है कि Jammu -Kashmir में तीन चरणों में Assembly elections आयोजित किए जाएंगे। मतदान की तारीखें 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को निर्धारित की गई हैं। यह चुनावी प्रक्रिया इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद यह पहला Assembly elections है, जिसमें क्षेत्र की राजनीतिक दिशा और भविष्य पर महत्वपूर्ण effect पड़ेगा। 5 अगस्त 2019 को Central goverment ने अनुच्छेद 370 को रद्द करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों—Jammu -Kashmir और लद्दाख—में विभाजित कर दिया गया। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद से Jammu -Kashmir में राजनीतिक गतिविधियां काफी हद तक सीमित हो गई थीं। अब, Assembly elections घोषणा के साथ, राजनीतिक दलों के बीच activity फिर से देखने को मिल रही है। Jammu -Kashmir में प्रमुख राजनीतिक दलों में कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस शामिल हैं। ये सभी दल अपने-अपने एजेंडे और रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे, जिसमें किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। उस समय, पीडीपी ने 28 सीटों के साथ सबसे अधिक सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को क्रमशः 15 और 12 सीटें मिली थीं। पीडीपी और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन यह गठबंधन सरकार पूरे कार्यकाल तक नहीं चल सकी। मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन बीजेपी और पीडीपी के बीच मतभेद बढ़ते गए और 2018 में महबूबा मुफ्ती ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इस बार के चुनाव में, कोई भी बड़ा राजनीतिक गठबंधन नजर नहीं आ रहा है। हालांकि, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं, लेकिन Jammu -Kashmir में उनके बीच कोई औपचारिक गठबंधन नहीं है। Assembly Elections 2024: 10 साल बाद की सबसे बड़ी राजनीतिक टक्कर बीजेपी ने इस बार जम्मू रीजन की 43 सीटों पर ध्यान केंद्रित किया है और अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पार्टी को उम्मीद है कि वह लगभग 35-36 सीटें हासिल कर सकती है। कश्मीर रीजन में, बीजेपी निर्दलीय उम्मीदवारों पर दांव लगाने की योजना बना रही है, जिन्हें बाद में पार्टी में शामिल किया जा सके। बीजेपी ने इस बार 40 साल से कम उम्र के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है और अल्पसंख्यक नेताओं को भी अपने पक्ष में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पीडीपी नेता और महबूबा सरकार में मंत्री रहे चौधरी जुल्फिकार अली को बीजेपी में शामिल करना इसी रणनीति का हिस्सा है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में दो सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी की चुनौती यह होगी कि वह जम्मू में अपनी पकड़ को बरकरार रखते हुए कश्मीर में भी अपनी उपस्थिति को मजबूत कर सके।नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस चुनाव में अपने घोषणापत्र में कई महत्वपूर्ण वादे किए हैं, जिनमें 200 यूनिट मुफ्त बिजली, पानी के संकट से राहत, और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को हर साल 12 एलपीजी सिलेंडर मुफ्त देने की घोषणा शामिल है। पार्टी ने सत्ता में आने के 180 दिनों के भीतर एक व्यापक नौकरी पैकेज, एक लाख युवाओं को नौकरियां देने और सरकारी विभागों में सभी रिक्तियों को भरने का वादा किया है। उमर अब्दुल्ला ने यह स्पष्ट किया है कि पार्टी केवल वही वादे कर रही है जिन्हें वह पूरा कर सकती है। पीडीपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिज़ा मुफ्ती को भी शामिल किया गया है। इल्तिज़ा मुफ्ती बिजबिहारा Assembly Elections सीट से चुनाव लड़ेंगी। पीडीपी के इस कदम को पार्टी के भीतर नई ऊर्जा लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।इस बार के चुनावों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) कोटा लागू होने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। जम्मू-कश्मीर में सीटों की संख्या अब 90 हो गई है, जिसमें जम्मू क्षेत्र को सात में से छह अतिरिक्त सीटें मिली हैं। 2024 का चुनावी महासंग्राम: जम्मू-कश्मीर में 5 बड़ी चुनौतियां Jammu -Kashmir अब Delhi और पुडुचेरी के बाद निर्वाचित Assembly Elections वाला तीसरा केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बन जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि एसटी कोटा लागू होने से चुनावी परिणामों पर क्या प्रभाव पड़ता है।कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, और पीडीपी ने लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में कश्मीर की तीन सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बीच सीधा मुकाबला हो गया था। कांग्रेस चाहती है कि विधानसभा चुनाव में वह एनसी और पीडीपी के साथ मिलकर लड़े, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई औपचारिक गठबंधन नहीं हुआ है।जम्मू-कश्मीर में आगामी Assembly Elections में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना बनी हुई है। कोई भी पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल करने में सक्षम नहीं दिख रही है, जिससे गठबंधन की राजनीति की अहमियत बढ़ जाती है। बीजेपी, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, और पीडीपी सभी अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी या गठबंधन को जनता का समर्थन मिलता है। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य पर इस Assembly Elections का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कौन सा दल या गठबंधन इस चुनौतीपूर्ण चुनावी परिदृश्य में विजयी होता है। –Pooja Mishra
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