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Ladakh में पांच नए जिलों की घोषणा: पीएम मोदी ने किया स्वागत, गृह मंत्रालय ने समिति का गठन किया

Ladakh Central government ने में प्रशासनिक सुधार के तहत पांच नए जिलों के गठन की मंजूरी दे दी है। इन नए जिलों के नाम जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे। इस फैसले से लद्दाख में शासन व्यवस्था को बेहतर बनाने और सेवाओं तथा अवसरों को लोगों के पास लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।PM Modi ने इस महत्वपूर्ण announcement पर खुशी व्यक्त करते हुए लद्दाख के लोगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह फैसला लद्दाख के विकास और समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि नए जिलों के गठन से प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी और स्थानीय लोगों को बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी।Home ministry ने इस निर्णय के बाद Ladakh प्रशासन को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। मंत्रालय ने नए जिलों के मुख्यालय, सीमाओं, संरचना, पदों का सृजन और अन्य आवश्यक पहलुओं की review के लिए एक समिति बनाने का आदेश दिया है। Ladakh  में पांच नए जिलों का गठन: पीएम मोदी ने बधाई दी, गृह मंत्रालय ने समिति बनाई यह समिति तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। रिपोर्ट के आधार पर Home ministry आगे की कार्रवाई करेगा।Union Home Minister Amit Shahने ट्वीट कर इस फैसले को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने लिखा, PM Modi के नजरिया के अनुसार, लद्दाख में पांच नए जिलों के गठन का निर्णय लिया गया है। यह कदम लद्दाख के लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा और शासन को हर नुक्कड़ तक पहुंचाने में मदद करेगा। मोदी सरकार Ladakh के लोगों के लिए हरसंभव अवसर पैदा करने के लिए committed है।”लद्दाख Union Home Ministry के सीधे प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था। इसके बाद Ladakh एक union territory state बन गया था, जबकि जम्मू और कश्मीर union territory state बना। इसी दिन अनुच्छेद 370 को भी canceled कर दिया गया था, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था। इस नए प्रशासनिक विभाजन के बाद, Ladakh में जिलों की संख्या बढ़कर पांच हो जाएगी। इससे क्षेत्रीय विकास और स्थानीय प्रशासन में सुधार की उम्मीद है। नए जिलों की व्यवस्था और संचालन को लेकर जारी की गई रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी, जो लद्दाख के विकास को नई दिशा देने में सहायक साबित होगी।इस पहल के तहत Ladakh में स्थानीय स्तर पर अधिक प्रभावी शासन और बेहतर सुविधाओं की उम्मीद की जा रही है। स्थानीय जनता को उम्मीद है कि इस बदलाव से उनकी समस्याओं का समाधान तेजी से होगा और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। -Pooja Mishra
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(Article 371) आर्टिकल 371

Article 371 – क्या है आर्टिकल 371 और क्यों ख़फ़ा है लद्दाख की जनता ?

चुनावी घोषणा से पहले लद्दाख में गरमाई सियासत (Article 371) आर्टिकल 371 की मांग ,लेह व कारगिल में भूख हड़ताल भी होगी। (Article 371) आर्टिकल 371 सरकार जहाँ लोकसभा चुनाव की तैयारियो में व्यस्त है. वही दूसरी और लद्दाख की सियासत भी गर्म है. लद्दाख के लोगो ने लद्दाख को राज्य दर्जा देने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने जैसे मुद्दे को लेकर माँग की है  जिसमे भाजपा की विरोधी दल की सियासत तेज हो गई है।इन मुद्दों पर गृह मंत्रालय से लद्दाख के संगठनों की दो बार बैठक हो चुकी है लेकिन उन दो बैठकों का कोई फायदा नहीं हुआ. क्युकी अभी तक इसके कोई नतीजा नही निकल पाए है .जिसके वजह से लोग लेह व कारगिल में भूख हड़ताल भी करेंगे और इन संगठनों ने बुधवार को लद्दाख बंद का आह्वान भी किया है। इन मुद्दों को समर्थन देने के लिए लद्दाख के पर्यावरणविद सोनम वांगचुक और लेह अपेक्स बाडी व कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की उप कमेटी के सदस्य भी दिल्ली से लद्दाख पोहचेगे और सोनम वांगचुक भी लेह में आमरण अनशन पर बैठेगे लेकिन चिंता जनक बात ये है की लद्दाख बंद का फैसला ऐसे समय हुआ है. जब भाजपा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार पर फैसला करने की तैयारी में व्यस्त है | क्या है लद्दाख के लोगो की माँग ? • लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले | • संविधान के छठे शेड्यूल को लागू किया जाए। • लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग सीटें दी जाय | क्या है लद्दाख का इतिहास ? (Article 371) लद्दाख पहले जम्मू कश्मीर में ही शामिल था. लेकिन जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को केंद्र सरकार ने साल 2019 में हटा दिया और राज्य को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित कर दिया। इसमें लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बनाया गया। अब इस राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर रहे है। इन लोगों की मांग है की लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए साथ ही संविधान की छठी अनुसूची को लागू किया जाए। सविंधान की छठी अनुसूची क्या छठी अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे राज्य शामिल है यह राज्य जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन है। बारदलोई कमिटी की सिफारिशों पर संविधान में इस अनुसूची को जगह दी गई थी |छठी अनुसूची के तहत, जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है। राज्‍य के भीतर इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्‍वायत्‍ता मिलती है।छठी अनुसूची में संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत विशेष प्रावधान है| हर स्वायत्त जिले में एक ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (ADCs) बनाने का भी प्रावधान है। भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, स्वास्थ्य, स्वच्छता, ग्राम और नगर स्तर की पुलिसिंग, विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज और खनन आदि से जुड़े कानून, नियम बनाने का हक है। लद्दाख में छठी अनुसूची से क्या फयदा है ? (Article 371) संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची आदिवासी आबादी की रक्षा करती है, स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण की अनुमति देती है जो भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि पर कानून बना सकती हैं। यह केवल बाहरी लोगों से लद्दाख की रक्षा करने के बारे में नहीं है। यह लद्दाख को लद्दाखी लोगों से बचाने के लिए है | (Article 371) आर्टिकल 371 )इस 6 अनुसूची न होने से वो भी बहुत नुकसान कर सकते हैं। जैसे कि पैंगोंग झील है, सोमोरीरी झील शामिल है। छठी अनुसूची जो कुछ करती है, वह यह है कि किसी भी एजेंडे में स्थानीय मूल लोगों के परामर्श की आवश्यकता होती है। तो आपकी क्या राय है इस माँग को लेकर हमे जरूर बताय |   -Pooja Mishra
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