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Nitish Kumar

बिहार में लोकसभा चुनाव परिणाम से कैसे नीतीश कुमार का राजनीतिक कद बढ़ा

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद जदयू ने ऐलान किया कि 2025 के विधानसभा चुनाव का नेतृत्व Nitish kumar करेंगे। अब भाजपा के नेता डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है को 3.53 प्रतिशत कम वोट आया। हार-जीत का अंतर भी कम हुआ है। इसके बावजूद जदयू ने अपने आधार महिलाओं का समर्थन भी बना रहा। लोकसभा चुनाव में बिहार के भाजपा नेता सक्रिय थे। उनकी खूब सभाएं हुई। उम्मीदवारों ने और नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मांगा। दूसरी तरफ जदयू राज्य सरकार की उपलब्धियों के आधार पर वोट मांगता रहा। औरंगाबाद, जमुई और नवादा की सभाओं को छोड़ दें तो नीतीश कुमार पीएम मोदी की अधिसंख्य सभाओं में मंच पर नजर नहीं आए। पीएम के मंच पर हिन्दू- मुस्लिम आधार पर ध्रुवीकरण के लायक भाषण होते थे। जो कि नीतीश के लिए असहज हो सकता था। कैसे बिहार में लोकसभा चुनाव परिणाम ने बढ़ाया Nitish Kumar का Confidence वोटों को बचाकर रखा। कुछ क्षेत्रों में उसे मुसलमानों का भी वोट मिला। जदयू के प्रति अत्यंत पिछड़ों और आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नीतीश कुमार Nitish Kumar और टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू किंगमेकर बनकर उभरे हैं. एनडीए को 543 में से 293 सीटें मिलीं जबकि INDIA ब्लॉक को 233 जगहें मिल सकीं. भाजपा को 240 सीटों के साथ बहुमत तो मिला, लेकिन वो मैजिक नंबर 272 को नहीं छू सकी, जिसके दम वो अकेले सरकार बना सकती थी. भाजपा समेत पूरा एनडीए फिलहाल आंध्रप्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी और बिहार के जनता दल (यूनाइटेड) के भरोसे है, नीतीश की पार्टी जेडीयू को 12 सीटें मिली हैं जो एनडीए में टीडीपी (16) के बार सबसे बड़ी भागीदार है. लोकसभा चुनाव परिणाम से पहले क्यु थे Nitish Demotivated 2020 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद नीतीश कुमार की राजनीतिक क्षमता पर कई बार प्रश्न खड़े हुए। राजद से गठबंधन के समय नीतीश ने इतना तक कह दिया कि अगला विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। उनके फिर से एनडीए में आने के समय भी कहा जाने लगा कि 2025 में विस चुनाव की अगुआई भाजपा करेगी। जदयू की सिर्फ 43 सीटों पर जीत हुई थी। भाजपा के मनुहार पर नीतीश मुख्यमंत्री बने। लेकिन, जल्द ही भाजपा के कुछ नेता उनपर अपमानजक टिप्पणी करने लगे। नीतीश जो एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में थे, भाजपा के कई नेता उन्हें छोटा भाई बताने लगे। नीतीश महागठबंधन से जुड़े। सत्ता के प्रति उनका वैराग्य भी प्रकट होने लगा और यहाँ तक नीतीश ने यह तक कहना शुरू कर दिया था मुझे किसी पद की ख्वाहिश नहीं है| ऐसे ही खबरो के लिए जुङे रहे नीतिपथ से आपकी क्या राय है comment box में जरुर बताए |   नीतिपथ के लिए पूजा मिश्रा की रिपोर्ट
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Lok Sabha Election

Lok Sabha Election 2024 Results: क्यों नहीं पूरा हो पाया, BJP के 400 पार वाला नारा ?

Lok Sabha Election : बीजेपी का 400 पार का नारा.. क्युं नही हुआ साकार.. The Inside Story Lok Sabha Election लोकसभा चुनाव नतीजों में बीजेपी की कम हुई सीटो की सबसे बड़ी वजह क्या है..क्या कारण है बीजेपी को अपने सबसे बड़े गढ़ उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका लगा है जिसकी वजह से उनका 400 का आँकड़ा पार करने का नारा हक़ीक़त की ज़मीन पर नहीं उतर पाया,, इन चुनावों नतीजों के बाद लोगों के बीच चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा ये हो चुका है कि क्या यूपी की जनता बीजेपी से नाराज़ है… आखिर ऐसी क्या वजह रही कि अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना के मुद्दे ने भी बीजेपी के लिए काम नहीं किया..जिसे लेकर भाजपा को बहुत उम्मीदें थीं… Lok Sabha Election : आइए जानते है बीजेपी के यूपी हारने के के Main factors 1. उत्तर प्रदेश Lok Sabha Election में टिकट बंटवारे को लेकर रही foresight की कमी हार की बड़ी वजह बनी | 2. पांच वर्षों तक सांसदों की अपने क्षेत्रों से अनुपस्थिति inactivity के मुद्दे ने भी यूपी में बीजेपी की जीत को फीका कर दिया | 3. उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए Caste Equation को ध्यान में रखना किसी भी राजनीतिक दल का मूल मंत्र होता है और ये भी माना जा रहा है इस बार यूपी में Caste equation को पहचानने में भी भाजपा से चूक हुई…इसके चलते भाजपा उन सीटों पर भी चुनाव हार गई, जहां से उसे जीत की शत-प्रतिशत उम्मीद थी। 4. चुनाव के पहले चरण से ही पेपर लीक मामले को चुनावी मुद्दा बनाकर युवाओं को कांग्रेस व सपा ने अपने पक्ष में करना शुरू कर दिया था…लेकिन तेज़ी से तूल पकड़ते इस मुद्दे पर भाजपा ने अपना पक्ष रखने की भी जरूरत नहीं समझी। 5. केन्द्र सरकार की अग्निवीर योजना को भी विपक्ष बड़ा चुनावी फैक्टर बनाने में सफल रहा, जिसकी काट भाजपा नहीं ढूंढ़ पाई। 6. लल्लू सिंह का संविधान बदलने वाला बयान घातक रहा जिसे विपक्ष की ओर से उछाले गए संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने के मुद्दे को भी भाजपा नहीं संभाल पाई। 7. मुफ्त अनाज योजना सहित केंद्र की अन्य योजनाओं से voters को जरूर लाभ मिल रहा था लेकिन कांग्रेस ने पांच की बजाय 10 किलो अनाज free में देने का वायदा करके अलग दांव खेला.. अब चुनावी वायदे ने BJP को नुकसान पहुंचाया 8. शहरी मतदाता वोट देने नहीं निकले 9. अयोध्या में बीजेपी की हार की वजह वहां land acquisition और उसके compensation को बताया जा रहा है. कई लोगों के घर-दुकान तोड़े गए. दावा है कि कई लोगों को compensation तक नहीं मिला. इसकी नाराजगी election results में साफ नजर आई 10. UP में BJP की Lok Sabha Election में हार की एक और बड़ी वजह कार्यकर्ताओं की अनदेखी मानी जा रही है, तो UP में बीजेपी के आई कम सीटो को लेकर आपकी क्या राय है नीतिपथ comment box में जरुर बताए | नीतिपथ के लिए पूजा मिश्रा की रिपोर्ट
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