Nitipath

सावित्री जिंदल ने हिसार सीट पर जीती

सावित्री जिंदल का राजनीतिक सफर: हिसार में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मिली सफलता

हरियाणा में बीजेपी की जीत: सावित्री जिंदल ने हिसार सीट पर जीती हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लगातार तीसरी बार अपनी जीत 48 सीट से दर्ज की । यह चुनाव परिणाम बीजेपी की मजबूत स्थिति के रुप में दिखाने के लिए काफी हैं, जो राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।इस चुनाव में हिसार सीट पर सभी की नजरें थीं, क्योंकि यहां भारत की सबसे अमीर महिला, Savitri Jindal, independent candidate के रूप में मैदान में उतरी थीं। 75 वर्षीय सावित्री जिंदल, जो ओपी जिंदल ग्रुप की Honorary President हैं, Savitri Jindal ने अपने opponent यानी Congress candidate Ram Niwas Ranaको 18,941 वोटों से हराया। सावित्री को कुल 49,231 वोट मिले, जबकि राम निवास राणा को 30,290 वोट मिले। BJP के candidate कमल गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे, जिनके पास 17,385 वोट थे।सावित्री जिंदल ने 2005 में अपने पति के निधन के बाद राजनीति में कदम रखा। उन्होंने पहले कांग्रेस के टिकट पर हिसार सीट से चुनाव लड़ा और जीती। हिसार में अलग- अलग जातियों के voters हैं, जिनमें पंजाबी, बनिया, सैनी, जाट, और ब्राह्मण शामिल हैं।हरियाणा में 5 अक्टूबर को हुए votes में BJP ने अच्छा प्रदर्शन किया | –Pooja Mishra
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जलेबी

BJP की तीसरी बार जीत और जलेबी की चर्चा : विधानसभा चुनाव 2024!

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: BJP ने फिर बनाई सरकार, जलेबी बनी चर्चा का विषय हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव की मतगणना पूरी हो गई है, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीसरी बार सरकार बनाने में सफलता हासिल की है। कुल 90 सीटों में से BJP को 48, कांग्रेस को 37, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) को 2, और Independent Candidates को 3 सीटें मिली हैं।चुनाव प्रचार के दौरान गोहाना में Congress की रैली में दीपेंद्र हुड्डा ने राहुल गांधी को मातू राम की जलेबियां खिलाईं। राहुल ने जलेबियों की तारीफ की और इसके बड़े पैमाने पर factory में उत्पादन और export की बात की। इस बयान के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाने लगा, और BJP ने इस पर कई मजेदार पोस्ट किए। मतगणना के दिन कांग्रेस ने ‘जलेबी दिवस’ मनाया, लेकिन जैसे-जैसे नतीजे सामने आए, पार्टी का मूड बदल गया। BJP ने कांग्रेस के ट्वीट का मजाक उड़ाते हुए लिखा, “आपकी जलेबी, कड़ाही, और घी सब सुरक्षित हैं, क्योंकि BJP तीसरी बार आ गई है।” Congress spokesperson Supriya Shrinet ने एक टीवी डिबेट में कहा, “अगर BJP हरियाणा में 20 सीटों से ज्यादा जीत गई, तो मेरा नाम बदल दीजिएगा।” इस बयान के मीम्स भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।इस चुनाव ने जलेबी को एक मजेदार विषय बना दिया, और बीजेपी ने अपनी जीत का जश्न मनाया, जबकि कांग्रेस के नेता सोशल मीडिया पर ट्रोल होते रहे। –Pooja Mishra
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Dushyant Chautala

Dushyant Chautala हरियाणा की सियासत में नीतीश कुमार जैसा रोल क्यों तलाश रहे हैं?

हरियाणा के Former Deputy CM Dushyant Chautalaआने वाले चुनावों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरह किंगमेकर नहीं, बल्कि किंग बनने की कोशिश में हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि इस बार “ताला भी हमारा होगा और चाबी भी हमारी होगी,” जिससे उनके इरादे स्पष्ट हो गए हैं।दुष्यंत ने नीतीश कुमार का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे नीतीश ने अपनी पार्टी के साथ 42 विधायकों के बावजूद BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई। नीतीश कुमार की तरह किंग बनने की तैयारी उनका इशारा साफ था कि वे हरियाणा में भी ऐसा ही राजनीतिक समीकरण बनाने की योजना बना रहे हैं।दुष्यंत चौटाला की रणनीति में कुछ प्रमुख बिंदु शामिल हैं। पहला, उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान स्थानीय युवाओं के लिए 75% Reservation और पंचायतों में महिलाओं के लिए 50% Reservation की बात की है। उनका फोकस न केवल जाट समुदाय पर है, बल्कि वह खुद को एक युवा और महिला supporters नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। दुष्यंत चौटाला: किंगमेकर या किंग? दूसरा, हरियाणा में BJP और Congress के बीच मुख्य मुकाबला होने के बावजूद, क्षेत्रीय पार्टियों के लिए राजनीतिक अवसर मौजूद हैं। Dushyant Chautala के लिए INLD के कमजोर होने के बाद JJP के रूप में एक मजबूत क्षेत्रीय विकल्प स्थापित करना फायदेमंद हो सकता है।तीसरा, Dushyant Chautala ने झारखंड और कर्नाटक में हंग असेंबली के उदाहरणों का हवाला दिया, जहां छोटे दलों ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। उनका मानना है कि हरियाणा में भी ऐसे समीकरण बन सकते हैं, जिसमें JJP एक प्रमुख भूमिका निभा सकती है। हरियाणा की राजनीति में क्षेत्रीय दलों के लिए अवसर Dushyant Chautala की नीतीश कुमार की तरह किंग बनने की कोशिश हरियाणा की राजनीति में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती ताकत को दर्शाती है। उनका फोकस महिलाओं और युवाओं पर है, और वे JJP के माध्यम से एक मजबूत विकल्प पेश करने के लिए तैयार हैं। अब देखना यह है कि क्या Dushyant Chautala अपनी रणनीति को सफल बना पाते हैं या फिर उन्हें किंगमेकर की भूमिका में संतोष करना पड़ेगा। ऐसे ही और अपडेट के लिए बने रहें नितिपथ के साथ। धन्यवाद| Pooja Mishra
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हरियाणा में कुमारी शैलजा के अपमान पर सियासी हलचल: खट्टर का ऑफर

हरियाणा में कुमारी शैलजा के अपमान पर सियासी हलचल: खट्टर का ऑफर

हरियाणा की राजनीति में एक नई हलचल देखने को मिल रही है, जब BJP के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस की दलित नेता कुमारी शैलजा को पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया। खट्टर ने आरोप लगाया कि शैलजा का कांग्रेस में अपमान हुआ है, जिसके चलते वे हाल के दिनों में पार्टी के प्रचार से दूर हैं।खट्टर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “कुमारी शैलजा को गालियां दी गईं हैं और अब वे घर बैठी हैं। इस अपमान के बावजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा और गांधी परिवार को कोई शर्म नहीं आई।” उन्होंने यह भी कहा कि BJP ने कई नेताओं को अपने साथ लाने में सफलता पाई है और वे शैलजा को भी अपने पाले में लाने के लिए तैयार हैं।कुमारी शैलजा, जो पहले कांग्रेस की एक प्रमुख दलित नेता मानी जाती थीं, पिछले हफ्ते से active नहीं हैं और अपने supports से ही मिल रही हैं। कुमारी शैलजा का अपमान: हरियाणा में दलित वोट बैंक की राजनीति में गर्मी उनकी इस नाराजगी ने हरियाणा की चुनावी राजनीति में गर्मी बढ़ा दी है। दलित वोट बैंक की राजनीति करने वाली पार्टियां भी शैलजा को अपने पाले में लाने का कोशिश कर रही हैं।BJP ने कांग्रेस पर तीखा जवाब देते हुए कहा कि यदि वे अपनी दलित नेता कुमारी शैलजा का सम्मान नहीं कर पा रही हैं, तो प्रदेश के बाकी दलितों का क्या करेंगी। इस बीच, बहुजन समाज पार्टी (BSP) के राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर आकाश आनंद ने भी शैलजा के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “कुमारी शैलजा जैसी दलित नेता के साथ कांग्रेस का व्यवहार उनकी दलित विरोधी मानसिकता को दिखाता है। “आकाश ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनकी पार्टी आरक्षण खत्म करने की सोच रखती है और दलितों के सम्मान का कोई ख्याल नहीं रखती।इस प्रकार, कुमारी शैलजा का मुद्दा हरियाणा की राजनीति में एक नई बहस का विषय बन गया है, जहां दलित वोट बैंक की राजनीति को लेकर सियासी दलों के बीच जंग छिड़ गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि शैलजा इस सियासी खींचतान में क्या कदम उठाती हैं और किस दिशा में जाती हैं। ऐसे ही और अपडेट के लिए बने रहें नितिपथ के साथ। धन्यवाद! Pooja Mishra
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Haryana

Haryana में जेजेपी और आजाद समाज पार्टी के गठबंधन से बदलेगा राजनीतिक परिदृश्य

Haryana की नई राजनीतिक दिशा: जेजेपी और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन Haryana की राजनीति में एक नया मोड़ आ चुका है। मंगलवार को दिल्ली में Former Deputy Chief Minister Dushyant Chautala और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने मिलकर ऐलान किया कि Jananayak Janata Party (JJP) और Azad Samaj Party (ASP) Haryana विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगी। इस गठबंधन की घोषणा ने प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है। Dushyant Chautala ने पत्रकारों को बताया कि JJP 70 सीटों पर और ASP 20 सीटों पर अपने candidates खड़े करेगी। उनका कहना था कि इस गठबंधन का aim Haryana की 36 बिरादरी को एकजुट करना है। उन्होंने यह भी बताया कि चौधरी देवीलाल ने हमेशा SC वर्ग के लोगों के उन्नति के लिए काम किया और उनके पदचिन्हों पर चलकर वे किसान-गरीबों की समस्याओं का समाधान करेंगे।चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि दोनों पार्टियों का मुख्य मुद्दा युवाओं को रोजगार, गरीबों को महंगाई से राहत, सामाजिक न्याय, और निजीकरण को खत्म करना है। उनका विश्वास है कि यह गठबंधन सभी 90 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करेगा।इस गठबंधन की घोषणा से पहले, JJP और ASP ने अपने-अपने चुनावी रणनीतियों को लेकर कई बार विचार किया था। दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर आजाद के बीच बात – चित्त ने इस गठबंधन की संभावना को मजबूती दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस गठबंधन का ऐलान करते हुए लिखा था कि वे ताऊ देवीलाल की नीतियों और कांशीराम की विचारधारा का पालन करेंगे और किसानों और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करेंगे।Haryana में दलित वोटरों का बड़ा हिस्सा है और यह चुनावी परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रदेश में 17 रिजर्व सीटें हैं और 35 अन्य सीटों पर दलित वोटरों का प्रभाव है। Haryana Politics: जेजेपी और आजाद समाज पार्टी ने किया गठबंधन JJP का motive इन सीटों पर अपना प्रभाव बढ़ाने का है ताकि 2019 की तरह वे फिर से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।पिछले विधानसभा चुनाव में, JJP ने जाट और दलित समुदायों से अच्छा support प्राप्त किया था। इस बार भी पार्टी उन सीटों पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है, जहां इन समुदायों की संख्या अधिक है। इसके विपरीत, बीजेपी के साथ गठबंधन के टूटने के बाद, JJP को लोकसभा चुनाव में गंभीर नुकसान उठाना पड़ा था। पार्टी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी और उसकी जमानत भी जब्त हो गई थी।गठबंधन के टूटने के बाद, JJP की स्थिति कमजोर हो गई थी और उसके कई विधायक पार्टी छोड़ चुके थे। इससे पार्टी की स्थिति और भी खराब हो गई थी। जेजेपी और आजाद समाज पार्टी का ताकतवर गठबंधन हरियाणा की राजनीति को नई दिशा देने के लिए तैयार है, जिससे अप्रत्याशित परिवर्तन और शक्ति खेल शुरू होगा।Shorten with AI दुष्यंत चौटाला और उनके कुछ समर्थक नेताओं के साथ, JJP एक नई शुरुआत करने की कोशिश कर रही है।इस राजनीतिक गठबंधन के पीछे एक बड़ी रणनीति है—हरियाणा में राजनीतिक संतुलन को पुनः स्थापित करना। जेजेपी और ASP का यह कदम भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प प्रस्तुत करता है। अगर यह गठबंधन सफल होता है, तो यह न केवल हरियाणा की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ेगा, बल्कि राज्य के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को भी प्रभावित करेगा।इस गठबंधन का भविष्य क्या होगा, यह तो चुनाव के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन फिलहाल हरियाणा की राजनीति में यह एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। –Pooja Mishra
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