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Delhi Liquor Scam

Delhi Liquor Scam | दिल्ली शराब घोटाला है क्या | अरविंद केजरीवाल | ईडी | दिल्ली

दिल्ली शराब घोटाला है क्या..जिसके आरोप में अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं… आइये इस घोटाले को आसान समझने वाली भाषा में आपको बताते हैं.. ध्यान से देखियेगा और सुनियेगा…दरअसल केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को… दिल्ली में Delhi Liquor Scam नई शराब नीति लागू की थी. नई policy लागू होने के बाद से दिल्ली सरकार नें शराब बेचने के कारोबार से ख़ुद को अलग कर लिया था… इस बात को लेकर दावा किया गया कि अब इस नई policy के लागू होने से दिल्ली सरकार अब शराब से ज्यादा कमाई करेगी. दरअसल केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को… दिल्ली में नई शराब नीति लागू की थी. नई policy लागू होने के बाद से दिल्ली सरकार नें शराब बेचने के कारोबार से ख़ुद को अलग कर लिया था… इस बात को लेकर दावा किया गया कि अब इस नई policy के लागू होने से दिल्ली सरकार अब शराब से ज्यादा कमाई करेगी. Delhi Liquor Scam | क्या है ‘ शराब घोटाला ‘?  इन शराब की दुकानों में 5 super premium दुकानों को शामिल किया गया था…लाइसेंस पाने वाले कुछ vendors को शराब की दुकानें 24 घंटे खोलने की इजाजत दी गई…जबकि कुछ hotel , club और restorent के बार को रात के 3 बजे तक शराब की दुकान खोलने की इजाजत दी गई थी…केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति में दिल्ली को 32 जोन में बांटकर केवल 16 कंपनियों को ही distribution का अधिकार दिया गया था . आरोप ये लगा कि इससे competition खत्म हो गया था…इतना ही नही नई शराब नीति में बड़ी कंपनियों की दुकानों पर तगड़ा discount मिलने की वजह से कई छोटे vendors को अपना license surrender करना पड़ा…एक ward में तीन ठेके खोलने के नियम की वजह से कई जगहों पर लोगों ने भी इसका विरोध किया था…जिसकी वजह से महंगी बोली लगाकर लाइसेंस लेने वालों को तगड़ा नुकसान हुआ… दिल्ली सरकार की नई excise policy दिल्ली सरकार ने नई excise policy लाने को लेकर माफिया राज खत्म करने का तर्क दिया था…दावा किया गया था कि इससे सरकार के राजस्व में भी इजाफा होगा…(Delhi Liquor Scam) दिल्ली में नई excise policy लागू हुई तो नतीजे सरकार के दावों के ठीक उलट आए….सरकार को नुकसान उठाना पड़ गया… कुछ महीने बाद ही दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने आम आदमी पार्टी सरकार की नई आबकारी नीति पर रिपोर्ट तलब की… 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नें रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी… रिपोर्ट में नई आबकारी नीति बनाने के नियमों के उल्लंघन और टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया…मुख्य सचिव की रिपोर्ट में नई शराब नीति में GNCTD act 1991 , transaction of business rules 1993 दिल्ली excise एक्ट 2009 और दिल्ली excise rules 2010 का प्रथम दष्टया उलंलघन बताया गया… टेंडर के बाद शराब टेकेदारों के 144 करोड़ रूपये माफ किए गए मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नई policy के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है….लाइसेंस देने में नियमों का अनदेखी की गई है…टेंडर के बाद शराब टेकेदारों के 144 करोड़ रूपये माफ किए गए हैं… रिपोर्ट के मुताबिक नई नीति के जरिए…कोरोना के बहाने license की फीस माफ की गई है…रिश्वत के बदले शराब करोबारियों को लाभ पहुंचाया गया.. रिपोर्ट के आधार पर जुलाई 2022 में दिल्ली के एलजी V K Saxena ने दिल्ली के deputy CM मनीष सिसोदिया के खिलाफ CBI जांच के निर्देश दे दिए… CBI जांच के आदेश के कुछ दिन बाद ही केजरीवाल सरकार ने नई आबकारी नीति पर रोक लगा दी.. 1 सितंबर 2022 से नई शराब नीति को हटाकर फिर से पुरानी वाली नीति को लागू कर दिया गया…३० नवंबर 2022 को ED ( Enforcement directorate ) ने मनीष सिसोदिया के करीबी अमित अरोड़ा को गिरफ्तार किया… 26 फरवरी 2023 को सीबीई ने दिल्ली के Deputy CM मनीष सिसोदिया से घंटो पुछताछ के बाद उन्हे भी गिरफ्तार कर लिया… तो इस तरह से दिल्ली शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के दो बड़े चेहरे मनीष सिसोदिया और संजय सिंह गिरफ्तार करके जेल भेज दिए गए और अब उसके बाद इस शराब घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी के chief और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को Delhi Liquor Scam भी गिरफ्तार कर लिया गया है.. तो उम्मीद है हमारे इस explaiener को देखकर आप शराब घोटाला का ये पूरा मामला है क्या..ये समझ गए होंगे|   -Khushi Sharma  
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(Article 371) आर्टिकल 371

Article 371 – क्या है आर्टिकल 371 और क्यों ख़फ़ा है लद्दाख की जनता ?

चुनावी घोषणा से पहले लद्दाख में गरमाई सियासत (Article 371) आर्टिकल 371 की मांग ,लेह व कारगिल में भूख हड़ताल भी होगी। (Article 371) आर्टिकल 371 सरकार जहाँ लोकसभा चुनाव की तैयारियो में व्यस्त है. वही दूसरी और लद्दाख की सियासत भी गर्म है. लद्दाख के लोगो ने लद्दाख को राज्य दर्जा देने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने जैसे मुद्दे को लेकर माँग की है  जिसमे भाजपा की विरोधी दल की सियासत तेज हो गई है।इन मुद्दों पर गृह मंत्रालय से लद्दाख के संगठनों की दो बार बैठक हो चुकी है लेकिन उन दो बैठकों का कोई फायदा नहीं हुआ. क्युकी अभी तक इसके कोई नतीजा नही निकल पाए है .जिसके वजह से लोग लेह व कारगिल में भूख हड़ताल भी करेंगे और इन संगठनों ने बुधवार को लद्दाख बंद का आह्वान भी किया है। इन मुद्दों को समर्थन देने के लिए लद्दाख के पर्यावरणविद सोनम वांगचुक और लेह अपेक्स बाडी व कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की उप कमेटी के सदस्य भी दिल्ली से लद्दाख पोहचेगे और सोनम वांगचुक भी लेह में आमरण अनशन पर बैठेगे लेकिन चिंता जनक बात ये है की लद्दाख बंद का फैसला ऐसे समय हुआ है. जब भाजपा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार पर फैसला करने की तैयारी में व्यस्त है | क्या है लद्दाख के लोगो की माँग ? • लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले | • संविधान के छठे शेड्यूल को लागू किया जाए। • लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग सीटें दी जाय | क्या है लद्दाख का इतिहास ? (Article 371) लद्दाख पहले जम्मू कश्मीर में ही शामिल था. लेकिन जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को केंद्र सरकार ने साल 2019 में हटा दिया और राज्य को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित कर दिया। इसमें लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बनाया गया। अब इस राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर रहे है। इन लोगों की मांग है की लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए साथ ही संविधान की छठी अनुसूची को लागू किया जाए। सविंधान की छठी अनुसूची क्या छठी अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे राज्य शामिल है यह राज्य जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन है। बारदलोई कमिटी की सिफारिशों पर संविधान में इस अनुसूची को जगह दी गई थी |छठी अनुसूची के तहत, जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है। राज्‍य के भीतर इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्‍वायत्‍ता मिलती है।छठी अनुसूची में संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत विशेष प्रावधान है| हर स्वायत्त जिले में एक ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (ADCs) बनाने का भी प्रावधान है। भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, स्वास्थ्य, स्वच्छता, ग्राम और नगर स्तर की पुलिसिंग, विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज और खनन आदि से जुड़े कानून, नियम बनाने का हक है। लद्दाख में छठी अनुसूची से क्या फयदा है ? (Article 371) संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची आदिवासी आबादी की रक्षा करती है, स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण की अनुमति देती है जो भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि पर कानून बना सकती हैं। यह केवल बाहरी लोगों से लद्दाख की रक्षा करने के बारे में नहीं है। यह लद्दाख को लद्दाखी लोगों से बचाने के लिए है | (Article 371) आर्टिकल 371 )इस 6 अनुसूची न होने से वो भी बहुत नुकसान कर सकते हैं। जैसे कि पैंगोंग झील है, सोमोरीरी झील शामिल है। छठी अनुसूची जो कुछ करती है, वह यह है कि किसी भी एजेंडे में स्थानीय मूल लोगों के परामर्श की आवश्यकता होती है। तो आपकी क्या राय है इस माँग को लेकर हमे जरूर बताय |   -Pooja Mishra
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