Rapid Increase in Pending Cases in the Supreme Court
जजों की संख्या बढ़ने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मामलों का बढ़ता बैकलॉग सुप्रीम कोर्ट में लंबित [ pending] मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, और अब यह 83,000 के करीब पहुंच गई है। पिछले एक दशक में सुप्रीम कोर्ट में केसों की संख्या में आठ गुना बढ़ोतरी देखी गई है . सुप्रीम कोर्ट में 2009 में जजों की संख्या 26 से बढ़ाकर 31 कर दी गई थी, और 2019 में यह संख्या 34 तक पहुंची। बावजूद इसके, लंबित[ pending] मामलों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आ रही है । आखिर क्या है वजह , जजों की संख्या में वृद्धि के बावजूद पेंडिग मामलों में कमी देखने को नही मिल रही है . सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court )में जजों की संख्या बढ़ने के बावजूद लंबित मामलों में कमी क्यों नहीं? 2009 में जजों की संख्या 26 से बढ़ाकर 31 की गई, लेकिन 2019 में इसे 34 तक बढ़ाने के बावजूद लंबित मामलों में कमी नहीं आई। कोविड-19 महामारी के दौरान न्यायिक कार्यवाही बाधित हो गई थी, जिसके कारण लंबित [ pending] मामलों की संख्या में और भी वृद्धि हुई। महामारी के समय वर्चुअल सुनवाई शुरू की गई थी, लेकिन इससे मामलों का निपटारा उतनी तेजी से नहीं हो पाया जितनी जरूरत थी, जिसके परिणामस्वरूप मामलों की संख्या बढ़कर 65,000 हो गई। इस साल 38,995 नए मामले दायर किए गए, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 37,158 मामलों का निपटारा किया। इसका मतलब है कि जितने मामले निपटाए गए, लगभग उतने ही नए मामले भी दर्ज हुए, जिससे लंबित मामलों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई। सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के कार्यकाल में लंबित [ pending] मामलों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटने और ऐसे मामलों को एक साथ सूचीबद्ध करने के लिए कई इनोवेटिव तकनीकी उपाय किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद लंबित [ pending] मामलों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है। आपको बताते चले कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, बल्कि हाई कोर्ट और निचली अदालतों में भी लंबित मामलों की संख्या चिंताजनक है। 2014 में हाई कोर्ट में 41 लाख मामले लंबित थे, जो अब बढ़कर 59 लाख हो गए हैं। इसी प्रकार, निचली अदालतों में 2014 में 2.6 करोड़ मामले लंबित थे, जो अब बढ़कर 4.5 करोड़ हो गए हैं।