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HEAT WAVE

Heat Wave: देश भर में प्रचंड गर्मी से हाल बेहाल, सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है,चिलचिलाती गर्मी और बढ़ता तापमान|

फ़िलहाल देश में और खासतौर पर उत्तर भारत के इलाकों में चिलचिलाती गर्मी और Heat Wave का दौर अभी जारी रहेगा । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चढते पारे की वजह से गर्मी अपने प्रचंड ताप की ओर बढती जा रही है.. गर्म हवाओं और तेज चल रही लू के कारण लोगों का घरों से निकलना एक बड़ी संकट बन चुका है, भारत मौसम विज्ञान विभाग [ IMD ]ने 6 राज्यों के लिए आने वाले दिनों में भीषण गर्मी का अलर्ट जारी किया है, वो राज्य हैं;- राजस्थान , पंजाब ,मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश और दिल्ली । राजस्थान में एक जगह है फलोदी.. जहां का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है। जिसके बाद मौसम विभाग ने वहां रेड अलर्ट जारी कर दिया है।भीषण गर्मी को लेकर मौसम विभाग ने पंजाब , जम्मू और कश्मीर, उत्तरप्रदेश में भी Heat Wave के कारण ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। देश की राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में सोमवार को तापमान 48 डिग्री पार कर गया है और हर बीतते दिन के साथ बढती गर्मी को लेकर ऐसी स्थिति अभी कई दिनों तक बनी रह सकती है । मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों जैसे जम्मू कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश ,गुजरात ,उत्तराखंड में भी पिछले कुछ दिनों अधिकतम तापमान 40 डिग्री रहा। तो सवाल है कि कब बदलेंगे गरमी(Heat Wave)के हालात ? उत्तर पश्चिम भारत के हिस्सो में बीते दिनों से भीषण गर्मी पड़ रही है लेकिन, 30 मई से इस गरमी की तीव्रता के कम होने की संभावना जताई जा रही है, मौसम विभाग के अनुसार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और अरब सागर से नमी के कारण देश के उतर पश्चिम और मध्य भागो में बारिश की सम्भावना है। देश के अलग अलग शहरों में मानसून की संभावित तारीख केरल ;- 31 मई या 1 जून को दिल्ली ;- 30 जून से 2 जुलाई युपी ;- 18 मई से 20 जून के बीच…. देश के लोग मानसून का बेसब्री से इंतजार तो कर रहे हैं लेकिन सूरज का प्रचंड होता ताप फिलहाल आने वाले कुछ दिनों तक तो कम होने वाला नही है| -Khushi Sharma
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PMJJBY

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)

भारत सरकार की एक योजना चल रही है प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) देश के लोगों को आर्थिक सुरक्षा देने के लिए भारत सरकार की एक योजना चल रही है प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY)… इस योजना के तहत अगर कोई व्यक्ति अपना Insurance या बीमा करा लेता है… और अगर भगवान ना करे लेकिन दुर्भाग्य वश.. Unfortunately उस व्यक्ति की किसी बीमारी या दुर्घटना में मौत हो जाती है तो व्यक्ति के नॉमिनी या परिवार को बीमा की 2 लाख रुपए की राशि दे दी जाएगी.. इस Policy के लिए आपको साल में एक बार केवल 436 रुपए की शुल्क या premium देना होता है.. मतलब अगर हिसाब लगाइएगा तो हर महीने 40 रुपए से भी कम देना है आपको… और Insurance मिलेगा… 2 लाख रूपये का… कैसे करें इसके लिए Apply – PMJJBY 1. इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास एक बैंक खाता.. bank account होना चाहिए 2. ये बैंक खाता सरकारी या प्राइवेट बैंक में हो सकता है 3. इसके बाद आप इस योजना का लाभ लेने के लिए apply कर सकते हैं कैसे ले सकते हैं Policy ?
PMJJBY यह स्कीम LIC के साथ ही दूसरी प्राइवेट लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के जरिए चलाई जाती है। व्यक्ति अपने बैंक में जाकर भी जानकारी ले सकता है, कई बैंकों का इंश्योरेंस कंपनियों के साथ टाइअप हैं। कैसे मिलता है इंश्योरेंस क्लेम ? PMJJBY नॉमिनी को उस इंश्योरेंस कंपनी या बैंक में क्लेम करना होता, जहां संबंधित व्यक्ति का इंश्योरेंस था। डेथ सर्टिफिकेट जमा करना होगा। डिस्चार्ज रिसिप्ट के साथ ही दूसरे जरूरी कागजात देने होते हैं।नियम अनुसार दुर्घटना या insured व्यक्ति की मृत्यु के 30 दिनों के अंदर क्लेम ज़रूर कर लेना होता है|   -Pooja Mishra
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(Article 371) आर्टिकल 371

Article 371 – क्या है आर्टिकल 371 और क्यों ख़फ़ा है लद्दाख की जनता ?

चुनावी घोषणा से पहले लद्दाख में गरमाई सियासत (Article 371) आर्टिकल 371 की मांग ,लेह व कारगिल में भूख हड़ताल भी होगी। (Article 371) आर्टिकल 371 सरकार जहाँ लोकसभा चुनाव की तैयारियो में व्यस्त है. वही दूसरी और लद्दाख की सियासत भी गर्म है. लद्दाख के लोगो ने लद्दाख को राज्य दर्जा देने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने जैसे मुद्दे को लेकर माँग की है  जिसमे भाजपा की विरोधी दल की सियासत तेज हो गई है।इन मुद्दों पर गृह मंत्रालय से लद्दाख के संगठनों की दो बार बैठक हो चुकी है लेकिन उन दो बैठकों का कोई फायदा नहीं हुआ. क्युकी अभी तक इसके कोई नतीजा नही निकल पाए है .जिसके वजह से लोग लेह व कारगिल में भूख हड़ताल भी करेंगे और इन संगठनों ने बुधवार को लद्दाख बंद का आह्वान भी किया है। इन मुद्दों को समर्थन देने के लिए लद्दाख के पर्यावरणविद सोनम वांगचुक और लेह अपेक्स बाडी व कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस की उप कमेटी के सदस्य भी दिल्ली से लद्दाख पोहचेगे और सोनम वांगचुक भी लेह में आमरण अनशन पर बैठेगे लेकिन चिंता जनक बात ये है की लद्दाख बंद का फैसला ऐसे समय हुआ है. जब भाजपा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार पर फैसला करने की तैयारी में व्यस्त है | क्या है लद्दाख के लोगो की माँग ? • लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले | • संविधान के छठे शेड्यूल को लागू किया जाए। • लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग सीटें दी जाय | क्या है लद्दाख का इतिहास ? (Article 371) लद्दाख पहले जम्मू कश्मीर में ही शामिल था. लेकिन जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को केंद्र सरकार ने साल 2019 में हटा दिया और राज्य को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित कर दिया। इसमें लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बनाया गया। अब इस राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर रहे है। इन लोगों की मांग है की लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए साथ ही संविधान की छठी अनुसूची को लागू किया जाए। सविंधान की छठी अनुसूची क्या छठी अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम जैसे राज्य शामिल है यह राज्य जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन है। बारदलोई कमिटी की सिफारिशों पर संविधान में इस अनुसूची को जगह दी गई थी |छठी अनुसूची के तहत, जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है। राज्‍य के भीतर इन जिलों को विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्‍वायत्‍ता मिलती है।छठी अनुसूची में संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275 (1) के तहत विशेष प्रावधान है| हर स्वायत्त जिले में एक ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (ADCs) बनाने का भी प्रावधान है। भूमि, जंगल, जल, कृषि, ग्राम परिषद, स्वास्थ्य, स्वच्छता, ग्राम और नगर स्तर की पुलिसिंग, विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज और खनन आदि से जुड़े कानून, नियम बनाने का हक है। लद्दाख में छठी अनुसूची से क्या फयदा है ? (Article 371) संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची आदिवासी आबादी की रक्षा करती है, स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण की अनुमति देती है जो भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि पर कानून बना सकती हैं। यह केवल बाहरी लोगों से लद्दाख की रक्षा करने के बारे में नहीं है। यह लद्दाख को लद्दाखी लोगों से बचाने के लिए है | (Article 371) आर्टिकल 371 )इस 6 अनुसूची न होने से वो भी बहुत नुकसान कर सकते हैं। जैसे कि पैंगोंग झील है, सोमोरीरी झील शामिल है। छठी अनुसूची जो कुछ करती है, वह यह है कि किसी भी एजेंडे में स्थानीय मूल लोगों के परामर्श की आवश्यकता होती है। तो आपकी क्या राय है इस माँग को लेकर हमे जरूर बताय |   -Pooja Mishra
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manohar lal khattar

आखिर क्यों दिया मनोहर लाल खट्टर ?

लोकसभा चुनाव से 1 महीने पहले और राज्य में इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे की क्या है…Inside Story केवल एक दिन के नाटकीय घटनाक्रम में मनोहर लाल खटृर Manohar Lal Khattar ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और नायब सिंह सैनी ने राज्य नए मुख्यमंत्री की शपथ ले ली… खट्टर ही नहीं बल्कि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला समेत कुछ अन्य मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया कौन हैं हरियाणा के नए मुख्यमंत्री ? नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद है और पिछले साल अक्टूबर में ही इन्होने हरियाणा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला था। भाजपा के साथ उनका जुड़ाव 1996 से है, और वह अपनी राजनीतिक यात्रा में अलग अलग पदों से होते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं । नायब सिंह सैनी के राजनीतिक करियर में बड़ा बदलाव आया था 2014 में… जब नारायणगढ़ क्षेत्र से वो विधायक के रूप में चुनाव जीते और साल 2016 में हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल में स्थान ग्रहण किया और उनके लिए अगला चुनाव था… 2019 का लोकसभा चुनाव… जिसमें वो कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और बड़ी जीत हासिल की, हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में सैनी की ताजपोशी को जातिगत विचारों जोड़ा जा रहा है, और इसकी बड़ी वजह ये है कि वो ओबीसी समुदाय से आते हैं हरियाणा में क्या टूट गया है गठबंधन ? हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी जननायक जनता पार्टी  की गठबंधन वाली सरकार थी जिसे तोड़कर ही बीजेपी के विधायक को मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया है। खट्टर के इस्तीफे बाद से तमाम अटकलें लगाई जा रही थीं…अभी कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपने और मनोहर लाल खट्टर के पुराने किस्से साझा किए थे.. वहीं इस्तीफा देने के तुरंत बाद गठबंधन में दरार की अटकलों पर चुप्पी तोड़ते हुए मनोहर लाल खटृर ने साफ़ कहा कि गठबंधन नहीं टूटा , हमारे बीच कोई मन मुटाव नहीं है। सब कुछ आपसी सहमति से हुआ है बीजेपी लोकसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा है (Manohar Lal Khattar )मनोहर लाल खट्टर   का इस्तीफ़ा मुख्यमंत्री के रूप में मनोहर लाल खट्टर के दोनों ही कार्यकाल के दौरान लोगो के उनसे नाखुश होने की बात बार बार आती रहती थी…यहाँ तक कि कई भाजपा सांसदों और हरियाणा सरकार के मंत्रियो ने दक्षिण हरियाणा के साथ उनके भेदभाव वाले रवैये की बात कही थी , जिसके कारण बीजेपी को वहाँ के जाट वोटरों का अलग-अलग पार्टियों में बंट जाने का भय था और अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ओबीसी मुख्यमंत्री लाकर बीजेपी ने हरियाणा राज्य के एक बड़े वोट बैंक तबके को खुश करने का कोशिशें तेज़ कर दी हैं… और बीजेपी का ये कदम 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ ही हरियाणा में इसी साल अक्टूबर महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज़ से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है |   -Khushi Sharma
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