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Nayab Singh Saini ने करनाल सीट छोड़ी

CM Nayab Singh Saini का चुनावी दांव: करनाल छोड़ लाडवा से चुनाव लड़ने का निर्णय बना चर्चा का विषय

Haryana के Chief Minister Nayab Singh Saini ने करनाल सीट छोड़ी, लाडवा से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव Haryana के Chief Minister Nayab Singh Saini ने आनेवाले विधानसभा चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णय लिया है। सैनी ने करनाल सीट को छोड़ते हुए लाडवा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यह बदलाव राज्य की राजनीतिक परिदृश्य में चर्चा का विषय बन गया है, खासकर विपक्षी दलों के ताने और आलोचनाओं के चलते।Nayab Singh Saini, जिन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री पद संभाला है, Saini ने पहले करनाल सीट से उपचुनाव में जीत हासिल भी की थी। उनके करनाल से चुनावी मैदान छोड़ने पर विपक्ष ने तरह-तरह के अनुमानों और आरोपों के साथ सवाल उठाए हैं। कुछ का कहना है कि करनाल में चुनाव हारने की संभावना के कारण सैनी ने यह कदम उठाया, जबकि अन्य का मानना है कि सीट पर मुकाबला कड़ा हो सकता था। Haryana के राजनीतिक इतिहास में यह कम ही देखने को मिला है कि Chief Minister ने नई सीट से चुनाव लड़ा हो। इसके पहले, Former Chief Minister Manohar Lal करनाल से दो बार चुनाव लड़े थे, जबकि Bhupendra Singh Hooda लगातार रोहतक के किलोई सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। हुड्डा ने यहां से पांच बार जीत हासिल की है और इस बार भी उनकी उम्मीदवारी जारी रहने की संभावना है।लाडवा सीट के बारे में बात करें तो यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद बनी थी। इस सीट पर सैनी वोटरों की संख्या अच्छी है, जो उनके चुनावी रणनीति के अनुरूप है। पिछली बार 2019 में, congress के मेवा सिंह ने BJP के पवार सैनी को हराया था, लेकिन सैनी की लोकप्रियता और राजनीतिक अनुभव के चलते BJP को उम्मीद है कि वह लाडवा सीट पर बड़ी जीत हासिल करेंगे। BJP ने विपक्षी दलों के संभावित हमलों का जवाब तैयार कर लिया है। पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री की लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि वे किसी भी सीट से चुनाव जीत सकते हैं। BJP का तर्क है कि Haryana के Former Chief Minister Manohar Lal भी अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ते रहे हैं और Nayab Singh Saini का लाडवा से चुनाव लड़ना उनकी राजनीति में एक नई ऊर्जा का संकेत है।इस प्रकार, CM Nayab Singh Saini की करनाल सीट छोड़ने और लाडवा से चुनाव लड़ने की रणनीति राजनीतिक हलकों में लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आनेवाले दिनो चुनाव का यह निर्णय उन्हें कितना फायदा पहुंचाता है। –Pooja Mishra
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राजस्थान के Shiksha Mantri का बड़ा बयान अकबर को महान बताने वाली किताबें करेंगे नष्ट

जला देंगे अकबर की तारीफ करने वाली किताबें , ये बयान है राजस्थान के शिक्षा में मंत्री का राजस्थान के Shiksha Mantri मदन दिलावर ने एक नए विवाद को जन्म देते हुए कहा है कि मुगल सम्राट अकबर को राजस्थान के स्कूलों में एक महान व्यक्ति के रूप में नहीं पढ़ाया जाएगा। उदयपुर में 28वें राज्य स्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह के दौरान दिलावर ने कहा कि अकबर एक ‘लुटेरा था और उसकी महानता को दर्शाने वाली किताबों को राजस्थान में अब नहीं पढ़ाया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि ऐसी सभी किताबों को जला दिया जाएगा, जो अकबर को महान बताती हैं। Shiksha Mantri ने अकबर की तुलना महाराणा प्रताप से करना मेवाड़ और राजस्थान की जनता का अपमान बताया। उन्होंने कहा, “अकबर ने सालों तक देश को लूटा है और ऐसे व्यक्ति को महान कहना मूर्खता है।” उन्होंने आगे कहा कि अकबर को महान बताने वाले इतिहासकारों और पुस्तकों को राजस्थान में स्थान नहीं दिया जाएगा और भविष्य में किसी भी मुगल सम्राट की ‘महान व्यक्तित्व’ के रूप में प्रशंसा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दिलावर ने स्पष्ट किया कि राजस्थान में अब किसी भी स्कूल की किताब में अकबर को महान के रूप में नहीं पढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा, “मैं शपथ लेकर कहता हूं कि आगे से राजस्थान में किसी भी किताब में अकबर को महान रूप में नहीं पढ़ाया जाएगा।” मंत्री ने यह भी कहा कि अकबर जैसे व्यक्ति की महानता का गुणगान करना मेवाड़ और राजस्थान के लोगों के लिए अपमानजनक है। आपको बता हें कि Shiksha Mantri मदन दिलावर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब शिक्षा में पाठ्यक्रम को लेकर कई राज्यों में बहस चल रही है। उनके इस बयान ने राजस्थान और देश के बाकी हिस्सों में एक नई बहस छेड़ दी है। कई लोगों का मानना है कि यह बयान इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने जैसा है, जबकि कुछ लोग इसे एक साहसी कदम मानते हैं जो तथाकथित गलत इतिहास को सही करने की दिशा में उठाया गया है। मदन दिलावर पहले भी अकबर को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं, और उनके इस ताजे बयान ने इतिहासकारों और शिक्षाविदों के बीच बहस छेड़ दी है कि क्या इस प्रकार के बदलाव छात्रों के लिए सही दिशा में हैं। राजस्थान में शिक्षा नीति में इस प्रकार के बदलावों का व्यापक प्रभाव हो सकता है और आने वाले समय में यह देखने योग्य होगा कि इस पर किस प्रकार की प्रतिक्रियाएं आती हैं   ~ Khushi Sharma
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